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कदमों मे सर झुकाए

कुछ दिल से
कुछ दिल से
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कदमो मे सर झुकाए मै बैठा रहा मगर
यार के दिल से मेरी नफरत नही गयी
मेरे झुके हुए सर को वो कलम करके हँस दिया
मेरी दीवानगी तो देखो, मेरी मोहबत्त नही गयी |

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